रांची : जिस रिम्स में लोग जिंदगी की उम्मीद लेकर आते हैं, अगर उसी रिम्स परिसर में कोई व्यक्ति तिल-तिलकर मर रहा हो, तो उससे ज्यादा संवेदना को चोट पहुंचाने वाली बात और कुछ नहीं होगी। रिम्स परिसर इन दिनों लावारिस मरीजों का बसेरा बन चुका है। रैन बसेरा के बगल में हनुमान मंदिर के पास स्थित दुकानों के पास पेड़ तले लेटे हुए दो लावारिस मरीजों को अगर आप देखेंगे, तो आपका मन जार-जार रो पड़ेगा। मुंह पर भिनभिनाती मक्खियां, शरीर पर कीड़ों का बसेरा और दर्द से कराहते मरीजों को देखकर आपको लगेगा कि शायद मानवता मर चुकी है और इसी कारण इन मरीजों की रिम्स जैसे बड़े सरकारी अस्पताल के प्रबंधन को भी खबर नहीं है। जिस संस्थान पर 'जिंदगीÓ देने का दारोमदार है, वही संस्थान इनकी अनदेखी करने पर अमादा है। आसपास के दुकानदार बताते हैं कि दोनों लावारिस मरीज 15 दिनों से पड़े हैं। दोनों लावारिस मरीजों को आसपास के दुकानदार और लोग ही खाने-पीने के लिए दे देते हैं। उनकी देखरेख की बदौलत ही उनकी जिंदगी चल रही है। पास स्थित एक दुकान संचालक ने बताया कि इस बारे में खुद उनकी ओर से कई संस्थाओं को इस बारे में सूचित किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। दोनों लावारिस मरीजों की बदतर हालत देखकर हर कोई तरस खाता है, लेकिन करता कुछ नहीं। लोगों ने रिम्स प्रबंधन से लावारिस मरीजों का इलाज कराने की मांग की।
रिम्स डायरेक्टर डॉ. आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि
लावारिस मरीजों के इलाज में सबको सामाजिक जिम्मेवारी निभानी होगी। अगर कोई मरीज को गार्ड या सुपरवाइजर के पास ले आए, तो उनका इलाज कराया जा सकता है।
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